Friday, May 23, 2025

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कांग्रेस प्रवक्ता पूर्णिमा पांडेय ने की मांग,विकास कार्यों की राशि में नेता और अफ़सर के कमीशन बंदरबांट बंद कराए झारखंड सरकार

संजय तिवारी

मेदिनीनगर (पलामू), झारखंड।

राज्य कांग्रेस की जोनल प्रवक्ता पूर्णिमा पाण्डेय ने प्रेस बयान जारी कर अपनी ही सरकार पर जोरदार प्रहार किया है। उन्होंने सरकारी कार्य में कमीशन की बंदरबाँट को लेकर तीखा प्रहार करते हुये कहा कि उनके यहाँ की सड़क, पुल, भवन या किसी भी सरकारी निर्माण कार्य हो पर उसका समय से पहले ख़राब होने समस्या आम बात है। और इसके लिये वे लोग सम्बंधित संवेदक के ऊपर आरोप लगाते हैं पर सच्चाई यह है कि इसके लिये सम्बन्धित अधिकारी से लेकर नज़दीकी विधायक-सांसद और मंत्री तक सीधे ज़िम्मेदार होते है। इन्हीं के कमीशन का बंदरबाँट विकास कार्य को सबसे ज़्यादा प्रभावित करता है।

चाहे सड़क निर्माण हो या पुल निर्माण या भवन निर्माण, सरकार द्वारा विकास कार्य के लिये भेजे गये पैसा का 50 प्रतिशत भी उस विकास कार्य में उपयोग नहीं होता, क्योंकि किसी भी विकास कार्य के टेंडर निकलवाने से लेकर काम होने तक नेता-अफ़सर का पुरा सेटिंग रहता है। काम किसको मिलना चाहिये वो नेता-अफ़सर मिलके निर्णय लेते हैं और उसी कम्पनी या संवेदक को काम भी दिया जाता है, जो सम्बन्धित नेता-मंत्री और अधिकारी को अच्छा कमीशन देगा। काम पुरा होने से पहले तक इन सब का कमीशन पहुँच जाना चाहिये और इस कमीशन के बंदरबाँट में सम्बन्धित विभाग के छोटा कर्मचारी, इंजीनियर से लेकर सेक्रेटरी लेवल के अधिकारी तक का कमीशन बंधा रहता है। इसी तरह लोकल नेता जैसे स्थानीय विधायक-सांसद से लेकर सम्बन्धित मंत्री तक का कमीशन बंधा रहता है, जिसका सीधा प्रभाव विकास कार्य पर दिखता है।

बयान जारी करते हुए पूर्णिमा पांडेय (फ़ोटो- हिन्द एक्सप्रेस न्यूज़)

किसी को उस सरकारी कार्य के गुणवत्ता की चिंता नहीं होती पर सबको अपने कमीशन की ज़्यादा चिंता होती है। वैसे तो मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक को ये बात पता होती है पर इस व्याप्त भ्रष्टाचार के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं करता है।
वैसे सरकार किसी की हो पर इस पर कोई कार्रवाई नहीं करना चाहता है, क्योंकि उनका कमाने का ज़रिया बंद हो जायेगा और इससे उनका एवं उनके पार्टी का विकास बाधित होगा।

यही वजह से हमारे यहाँ के ज़्यादातर नेता-अफ़सर इतने अमीर होते हैं और उनके यहाँ करोड़ों की सम्पत्ति भी मिलती है। मतलब कुल मिलाकर नेता-अफ़सर से लेकर ठेकेदार तक की मानसिकता बन गई है कि सरकारी कार्य एक कमाने का ज़रिया है। चाहे उस सरकारी काम के गुणवत्ता में कितनी भी गिरावट आ जाये पर उनके कमीशन के बंदरबाँट में कोई गिरावट नहीं आनी चाहिये। जिसका नतीजा ये दिखता है कि सड़क, पुल, बिल्डिंग इत्यादि समय से पहले ख़राब हो जाते हैं।

इसलिए वे मीडिया के माध्यम से पलामू के सभी ऐसे नेता-अफ़सर चेतावनी दे रही हैं कि सरकारी कार्य में कमीशन खाना बंद करें अन्यथा उनको सलाख़ों के पीछे भेजने में देरी नहीं होगी और सरकारी कार्य के गुणवत्ता में गिरावट कभी बर्दाश्त भी नहीं की जायेगी।

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