Tuesday, July 8, 2025

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औरंगाबाद के विनीत को भारत सरकार ने दिया स्वच्छता सारथी का पुरस्कार, लगा बधाईयों का तांता

राजेश रंजन

औरंगाबाद, बिहार


बिहार के औरंगाबाद जिले के ग्राम देवहरा निवासी धनेश प्रजापति और सुनीता देवी के पुत्र विनीत कुमार को भारत सरकार ने स्वच्छता सारथी पुरस्कार से प्रदान किया है। यह पुरस्कार 1 अक्टूबर को आईआईटी दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान दिया गया।
यह पुरस्कार विनीत को प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल बनाने वाले प्रोजेक्ट और कचरे से संबंधित अन्य कई अविष्कार के लिए दिया गया है। आईआईटी दिल्ली में दो दिनों के लिए आयोजित स्वच्छता सारथी समारोह में विनीत ने अपने द्वारा किए गए कार्य को मिनिस्ट्री को दिखाया, जिसके बाद इनका चयन स्वच्छता सारथी पुरस्कार के लिए हुआ।

भारत सरकार से प्रिंसियल साइंटिफिक एडवाइजर व इन्वेस्ट इंडिया, भारत सरकार द्वारा स्वच्छता सारथी पुरस्कार दिया गया।
यह पुरस्कार प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर सेक्ट्रेट्री परमेद्र मानी द्वारा आईआईटी दिल्ली में दिया गया।

इसके लिए विनीत को पहले एक साल के लिए स्वच्छता सारथी फेलोशिप मिला था,जिसमें इसको वेस्ट से वेल्थ कैसे बनाया जाए और अपने आसपास के लोगों को इसके लिए जागरूक किया जाए, इसके ऊपर काम करना था।
जो कि भारत सरकार की टीम की निगरानी में विनीत कुमार द्वारा किया जा रहा था। जिसमें काफी बेहतर करने के बाद विनीत को दिल्ली में 30 सितंबर और 1 अक्टूबर को आयोजित स्वच्छता सारथी समारोह में बुलाया गया और इसके द्वारा किए गए कार्यों की निरीक्षण किया गया।
कचरे से यूजफुल चीजें बना रहे हैं और अपने काम को जमीनी स्तर पर कैसे उतार रखा है। इस कार्य को विनीत ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया। मिनिस्ट्री और इन्वेस्ट इंडिया की टीम द्वारा देखा गया, जिसके बाद विनीत को स्वच्छता सारथी पुरस्कार के लिए चुना गया और उन्हें यह पुरुस्कार 1 अक्टूबर को आईआईटी दिल्ली में दिया गया।

विनीत अपने आविष्कार में कचरे से कई तरह के यूजफुल सामग्री तैयार किया है और इसको जमीन स्तर पर उतारने के साथ साथ अपने आस पास के युवा को भी इसके लिए जागरूक और प्रेरित किया है। विनीत एक समूह बना कर कचरे को रिसाइकल करने के साथ साथ उसे कैसे वेल्थ बनाया जाए, इसके लिए अपनी टीम के साथ मिल कर काम किया और आस पास के लोगों को जोड़ा।

इसके अलावा युवाओं को प्रेरित करने के लिए कई काम किए और आगे भी जारी है।

विनीत ने बताया कि इस पुरस्कार का श्रेय उनकी टीम, माता पिता और उनके गुरुजनों को जाता है। जिन्होंने उनका सपना पूरा करने में काफी योगदान दिया है।

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