Monday, July 7, 2025

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40 साल पहले हुए हत्याकांड मामले में आया फैसला, 5 की हुई मौत, बचे हुए 88 वर्ष और 75 वर्ष के 2 बुजुर्ग आरोपियों को मिली उम्रकैद

औरंगाबाद, बिहार।

जिले के मदनपुर थाना क्षेत्र के वार गांव में 40 साल पहले साल 1982 में धन कटनी के विवाद में हुए 2 लोगों की हत्या के मामले में गुरुवार को फैसला आया है। फैसले में जिंदा बचे 2 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। हत्याकांड के पांच अन्य आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है।

फैसले की जानकारी देते अधिवक्ता

व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद के एडीजे 12वें धनंजय कुमार मिश्रा ने मदनपुर थाना कांड संख्या 151/82, सेशन ट्रायल संख्या 122/1986 में सज़ा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए सजा सुनाई है। 2 अभियुक्तों वार गांव निवासी 88 वर्षीय जगदेव मिस्त्री 75 वर्षीय अभिलाख मिस्त्री को भारतीय दंड संहिता की धारा 302/149 में उम्र कैद की सज़ा सुनाई गई है। एपीपी बबन प्रसाद ने बताया कि इस वाद में कुल 7 अभियुक्त थे जिसमें से 5 अभियुक्तों की स्वाभाविक मृत्यु हो गई है। वहीं कांड के बचे हुए 2 बुजुर्ग अभियुक्तों को 23 नवम्बर को धारा 302/149 में दोषी करार देते हुए जमानत रद्द करते हुए जेल भेज दिया गया था।

गुरुवार को सज़ा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए दोनों अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302/149 में आजीवन कारावास और 25 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई है। जुर्माना नहीं देने की स्थिति में 1 वर्ष की अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा होगी।

अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि प्राथमिकी सूचक मदनपुर थाना के सरैया गांव निवासी सुदर्शन सिंह ने साल 1982 में 06 दिसम्बर को प्राथमिकी दर्ज कराई थी । जिसमें बताया था कि जयराम सिंह, रामनरेश सिंह, रामप्रवेश सिंह और अरविंद सिंह खेत में धान की कटनी कर रहे थे। सुबह के समय वार गांव निवासी नागदेव मिस्त्री, जगदेव मिस्त्री, बैचु मिस्त्री, अभिलाख मिस्त्री, मोती मिस्त्री, रामदेव मिस्त्री और जुठी प्रजापत लाठी एवं गंडासे से लैस होकर खेत पर आ धमके। इसके बाद खेत पर काम कर रहे निहत्थे उन सबों पर अचानक हमला बोल दिया। जिससे जयराम सिंह गंभीर रूप से ज़ख्मी होकर बेहोश हो गये। घटना की सूचना पाकर ग्रामीण दौड़ पड़े। अपनी ओर कई ग्रामीणों को आते देख आरोपी मौके से भाग निकले।
घटना के बाद घायल जयराम सिंह को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मदनपुर में भर्ती करवाया गया था जहां प्राथमिक इलाज़ के बाद बेहतर इलाज के लिए बोस क्लिनिक डेहरी में
रेफर किया। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। मौत के बाद शव का पोस्टमार्टम सासाराम में कराया गया था।
इस वाद में कुल आठ गवाहों ने गवाही दी थी। झगड़ा का कारण जमीनी विवाद बताया गया था। अभियुक्तों पर 05 फरवरी 1983 को आरोप गठन किया गया था।

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