Friday, May 23, 2025

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17 जनवरी को हो रहे राजद कार्यकर्ता सम्मेलन सामाजिक न्याय का नहीं बल्कि ठेकेदारों और पार्टी विरोधी कार्यकर्ताओं का सम्मेलन- श्यामसुंदर

औरंगाबाद, बिहार।

जिले के गोह विधानसभा से प्रत्याशी रहे श्याम सुंदर ने राजद कार्यकर्ता सम्मेलन को लेकर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि राजद की ओर से आयोजित जिला कार्यकर्ता सम्मेलन, सामाजिक न्याय के कार्यकर्ताओं का नहीं बल्कि ठेकेदार, पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त, माफिया किस्म के दरबारी कार्यकर्ताओं का सम्मेलन है। ऐसे कार्यकर्ताओं की वजह से ही त्रिस्तरीय पंचायत प्राधिकार में राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार अनुज सिंह की हार हुई है। कथित राजद कार्यकर्ता प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने दावा करते रहे मगध स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवार को जितवाने का और भीतरघात कर जितवा दिये एनडीए उम्मीदवार को। फिर भी ये प्यारे बने रहे संगठन को।

हमने बीते बिहार विधान सभा चुनाव में अपनी राजनीतिक कुर्बानी देकर गोह विधान सभा क्षेत्र में लाज बताई थी राजद की। गोह विधान सभा क्षेत्र से सामंती-साम्प्रदायिक ताकतों के खात्मे और सामाजिक न्याय की हिफाजत के लिये अपनी उम्मीदवारी छोड़ी थी गोह विधान सभा क्षेत्र में। आदरणीय नेता माननीय उप मुख्यमंत्री श्री तेजस्वी यादव के सामने गोह के ऐतिहासिक गांधी मैदान में ली थी राजद की सदस्यता। तब लाज बची है राजद की। पहली बार गोह विधानसभा क्षेत्र का राजद नेतृत्वकर्ता पहुंचा है बिहार विधान सभा में।

लेकिन परिणाम क्या मिला? आज आयोजित हो रहे कार्यकर्ता सम्मेलन में न्योता तक नहीं देना मुनासिब समझा आयोजकों ने। आयोजकों से मेरा सवाल—-

आखिर मेरा गुनाह क्या था?
गोह में सच की आवाज दबाने का मतलब,
हमसे हमारी धड़कन का छीना जाना,
वजह नहीं बताना।
मगर वजह जगजाहिर है,
मेरे लहजे में जी-हुजूर का ना होना
इससे ज्यादा मेरा कसूर का ना होना।
फिर भी वे डरते हैं,
सच की आवाज बाहर ना आ जाए,
सामाजिक न्याय के बहुरूपिये पहचाने ना जायें।

तभी तो जिले के सरकारी दफ्तरों में ना तो शोषितों-वंचितों का सम्मान दिख रहा है और ना ही गोह विधानसभा क्षेत्र में सामंती-साम्प्रदायिक ताकतें कमजोर होती दिख रही है। सच तो यह है कि गोह विधानसभा क्षेत्र में साजिशन सच की आवाज दबाने के लिए कार्यकर्ताओं को झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है। शुरुआत उपहारा थानाक्षेत्र के महद्दीपुर गांव में कर्मठ कार्यकर्ता सकलेश यादव की हत्या से हुई। अग्निवीर आंदोलन में पांच सौ से अधिक राजद समर्थक फंसाये गये। हसपुरा के निशांत का क्या गुनाह? जो भेजा गया जेल। सारे मामले में मौन रहे माननीय सियासतदान। हसपुरा बाजार में दिनदहाड़े लपटों द्वारा मारे बिंदा यादव के हत्यारों के साथ सियासतदानों का खडा होना, ऐसे कुछ उदाहरण हैं, जिस पर प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व का ध्यान समय रहते नहीं गया तो भयावह परिणाम भुगतने पड सकते हैं संगठन को।

editor
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