औरंगाबाद, बिहार।
औरंगाबाद शहर के सच्चिदानंद सिंहा कॉलेज का झंडा विवाद अभी भी जारी है। इस विवाद में कॉलेज के प्राचार्य पर केस दर्ज होने के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने औरंगाबाद विधायक को आड़े हाथों लिया है।
इस सम्बंध में सिन्हा कॉलेज के प्रांगण में अभाविप ने एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया।
इस प्रेस वार्ता के माध्यम से उन्होंने महाविद्यालय में उत्पन्न विवादों को लेकर अपना पक्ष रखा है।

संगठन के पदाधिकारी और महाविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष आशिका सिंह ने बताया कि कुछ दिनों पूर्व महाविद्यालय प्रशासन की ओर से कुछ असामाजिक तत्वों के ऊपर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। जिसमें असामाजिक तत्वों के द्वारा 15 अगस्त को समय 7:30 पूर्वाहन में स्वाधीनता दिवस के अवसर पर महाविद्यालय में ध्वजारोहण की तैयारी को बाधित किया गया था।
झंडोतोलन के पूर्व ही बीच में अचानक कुछ लोग परिसर में समूह के साथ प्रवेश करते हैं एवं कार्यक्रम को बाधित करते हुए परिसर में लगाए गए 100 फीट ऊंचे ध्वज के शिलान्यास पट को जिसका शिलान्यास होना था उसे रंग से पोत दिया।उन्होंने इस की गरिमा को कुंठित किया एवं शहीदों के बलिदान का अपमान किया। साथ ही तिरंगे का भी अपमान किया।

ज्ञात हो कि इस घटना का वीडियो भी बनाया गया है जिसमें विवाद कर रहे कथित असामाजिक तत्व साफ नजर आ रहे हैं। इनमें
चंदन कुमार, पिता मुसाफिर यादव ,वर्तमान पता- रजवाड़ी औरंगाबाद,
अमित कुमार ,पिता- राजेंद्र यादव ,ग्राम- बरडी, मदनपुर, औरंगाबाद
शत्रुधन कुमार,
सुनील कुमार एवं पिंटू कुमार शामिल हैं।
जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया है। बिना पूर्व लिखित सूचना के साथ आपत्ति दर्ज करते हुए अंजाम दिया एवम महाविद्यालय के साथ-साथ देश की गौरवशाली इतिहास को ठेस पहुंचाने का काम किया ।
उक्त तत्वों के द्वारा विभिन्न अन्य अवसरों पर भी इनके संगठन के लोग एवं इस तरह के विवादों को उत्पन्न करते रहते हैं और छात्रों के लिए हो रहे कार्यक्रमों को बाधित करते हैं ।इन लोगों के द्वारा पूर्व में भी सिन्हा कॉलेज परिसर के बाहर बाउंड्री पर एबीवीपी के द्वारा चित्रित स्वतंत्रता पुरोधा भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु के चित्र पर काला मोबिल पोतने का काम किया गया था ,भविष्य में भी ऐसे अनैतिक एवं महाविद्यालय विरोधी कार्य में बाधा पहुंचाने संबंधी घटनाएं की जाने की संभावना है।आश्चर्य की बात यह है कि इस तरह के कुकृत्य करने के बाद इनके पक्ष में औरंगाबाद सदर विधायक आनंद शंकर सिंह ने बचाव का कार्य किया जो स्वयं भारत के संविधान के अनुसार ,लोकतांत्रिक अधिकारों की बदौलत एवं जनता के वोट मिलने के बाद विधायक बने हैं। उनके द्वारा इस पक्ष में बचाव अशोभनीय है।
स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर इस प्रकार का कुकृत्य राष्ट्रीय अपराध की श्रेणी में आता है । आशिका सिंह ने बताया कि ऐसे कुकृत्य करने वाले असामाजिक तत्वों पर राष्ट्रीय अपराध कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। छात्रसंघ एवम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इस विषय को लेकर कार्रवाई की मांग करता है आगे भी मांग करता रहेगा तथा जल्द ही पुलिस अधीक्षक से मिलकर इस विषय पर ज्ञापन सौंपा जाएगा।
दूसरी ओर ध्यान आकृष्ट कराते हैं कि इस घटना के बाद छात्र संगठन एनएसयूआई एवं अन्य सहयोगी संगठनों के लोग इस कुकृत्य पर शर्म करने के बजाय इसका समर्थन करते हुए महाविद्यालय प्रशासन एवं प्राचार्य पर झूठा मुकदमा दर्ज कराते हैं जिसमें प्राचार्य वेद प्रकाश चतुर्वेदी पर तिरंगे के अपमान का आरोप लगाया गया है।
आरोप है कि परिसर में लगे 100 फीट ऊंचा तिरंगा का झंडा फटा हुआ था जिसे प्राचार्य को अवगत कराया गया था और उन्होंने इसे बदला नहीं। जबकि रात्रि में तेज हवा के झोंके से फट गए तिरंगे को उतरवाकर नया तिरंगा लगाने का कार्य का आदेश प्रचार्य महोदय के द्वारा दे दिया गया था और कार्य चल भी रहा था। लेकिन इसके पूर्व ही महागठबंधन के लोगों ने उसका वीडियो बनाया था और उस पर विवाद खड़ा किया।
अतः यह आरोप सरासर गलत है और बेबुनियाद है ।
आशिका सिंह के नाम पर विवाद
कुछ छात्र नेताओं ने आरोप लगाया कि जब तिरंगा लगाया गया था तो सिर्फ शिलापट्ट पर कॉलेज अध्यक्ष आशिका सिंह का ही नाम था। इस अभाविप ने बताया कि किसी भी समिति के सर्वमान्य मुख्य सदस्य समिति के अध्यक्ष ही होते हैं और नियमानुसार प्रत्येक स्थान पर शिलान्यास पट पर अध्यक्ष या सचिव का नाम ही अंकित होता है। यह विधान परिषद ,विधानसभा, जिला परिषद ,नगर परिषद के माध्यम से किसी भी उद्घाटन शिलान्यास के पट पर देखा जा सकता है। जिस पर आपत्ति सरासर गलत है एवं बेबुनियाद है।
विधायक आनंद शंकर सिंह से सवाल
आशिका सिंह ने स्थानीय विधायक से सवाल किया है कि महोदय क्या यह बताने का कष्ट करेंगे कि आपके द्वारा किए गए शिलान्यास के पट्ट पर अन्य सभी सदस्यों का नाम क्यों नहीं अंकित होता है सिर्फ विधायक का नाम ही क्यों अंकित होता है?
अतः छात्रसंघ उपरोक्त सभी प्रकार के आरोपों का खंडन करता है एवं उक्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विवाद उत्पन्न कर रहे सभी आरोपियों पर राष्ट्रीय अपराध कानून के तहत कार्रवाई की मांग करता है। यदि ऐसा नहीं होता है तो छात्रसंघ एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इस विषय पर आगामी आंदोलन का निर्णय लेने पर बाध्य होगा।