औरंगाबाद, बिहार
बिहार के औरंगाबाद जिले के कलेक्ट्रेट परिसर में चक्कर लगा रहे ये दलित दम्पती अपने बड़े बेटे की मौत का इंसाफ मांग रहे हैं। झारखंड के पलामू जिला के हुसैनाबाद थाना क्षेत्र के बेदौलिया गांव के रहने वाले शर्मा राम पेशे से झारखंड सरकार में शिक्षक हैं। इन दिनों औरंगाबाद में कभी कोर्ट तो कभी एसपी कार्यालय में न्याय के लिए चक्कर लगा रहे हैं। रो रोकर आंखों के आंसू सूख गए हैं लेकिन इनकी सुनवाई कहीं नहीं हो रही है।

जिस बीएससी और बीएड बेटे रौशन कुमार को शाम में बगल के बाजार में 100 रुपए देकर समोसा खाने भेजा था, सुबह में उसकी लाश गांव से 70 किलोमीटर दूर औरंगाबाद जिले के नबीनगर प्रखण्ड के बड़ेम ओपी थाना क्षेत्र में मिली। वह भी इतनी बुरी स्थिति में कि एक पैर और एक हाथ टूटा हुआ था। पिता ने बताया कि जगह जगह घाव के निशान थे। कमर में गहरा घाव था जैसे किसी ने चाकू मारा हो। इसके अलावे सिर और पीठ पर भी गहरे घाव थे। पीठ पर पिटाई के बाद जैसे नीले नीले दाग थे।

न्याय के लिए औरंगाबाद कलेक्ट्रेट में भटक रहे पिता ने आरोप लगाया है कि उनके बेटे रौशन कुमार की बेरहमी से पीट पीटकर हत्या कर दी गई है। इस हत्याकांड का अंजाम उसके की साथियों द्वारा दिया गया है। जिसमें
सुधीर कुमार, पिता रामप्रताप रवि, सुजीत कुमार, पिता बिनोद राम, दोनों निवासी ग्राम धनिया, थाना हुसैनाबाद, जिला पलामू, झारखंड।
बीरबल कुमार, पिता सुगानी राम, निवासी ग्राम ओबरा, थाना हुसैनाबाद, जिला पलामू, झारखंड।
पिंटू कुमार, पिता जनेश्वर राम,
गुड्डू कुमार, पिता बबन राम, दोनों निवासी ग्राम महिप्ता, थाना नौडीहा, जिला पलामू, झारखंड।
बसंत कुमार, पिता कमलेश राम, निवासी ग्राम बलथर, थाना टंडवा, जिला औरंगाबाद, बिहार।
और निखिल कुमार, पिता बीरेंद्र राम, निवासी ग्राम अंबेडकर नगर, थाना नौहट्टा, जिला रोहतास, बिहार शामिल हैं।रौशन कुमार पिता शर्मा राम ने बताया कि उनका लड़का रौशन कुमार 2 अगस्त, 2022 की शाम 5:00 बजे पास के गांव के सुजीत कुमार से फोन पर बात करके अपाचे मोटरसाइकिल से घर से निकल गया था। जब रात 9:00 बजे तक घर नहीं आया तब काफी खोजबीन किया लेकिन कोई पता नहीं चला। 3 अगस्त 2022 को सुबह सूचना मिली कि रोशन कुमार का शव घर से 70 किलोमीटर दूर बिहार के औरंगाबाद जिले के बड़ेम ओपी थानाक्षेत्र के कांकेर गांव के सड़क के किनारे बड़ेम ओपी प्रभारी को प्राप्त हुआ है। थानाध्यक्ष द्वारा यह कह कर शव को पोस्टमार्टम कराने के लिए औरंगाबाद भेज दिया गया कि आप लोग कल सुबह आएंगे तो उसी तिथि में प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई करेंगे। इस बात पर विश्वास करके वे लोग जब 4 अगस्त को सुबह बड़ेम ओपी थानाध्यक्ष को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन देने लगे तो वे आवेदन नहीं लिए।
थाना प्रभारी ने बताया कि यह घटना एक दुर्घटना है जो कि उनके थाने की गश्ती वाहन से धक्का लगने के कारण हुई है । जबकि जिस मोटरसाइकिल पर रोशन सवार था उस मोटरसाइकिल में खरोच भी नहीं लगी है तथा शव से 100 मीटर की दूरी पर चाबी ऑन करके गाड़ी खड़ी बरामद हुई है ।
थानाध्यक्ष द्वारा घटना को सड़क दुर्घटना रूप देते हुए गलत एफआईआर की गई है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या बिना मोटरसाइकिल में धक्का लगे रोशन कुमार की मौत हो सकती है? साथ में बसंत कुमार और निखिल कुमार थे उनको पकड़ा क्यों नहीं गया? यह जांच का विषय है ।
उनका दावा है कि उनके बेटे की उनके ही दोस्तों द्वारा हत्या कर दी गई है और मामले को बड़ेम ओपी थाना प्रभारी की मिलीभगत से रफा-दफा किया जा रहा है। अगर साथ में रहे लड़कों से पूछताछ होगी तो सारे मामले की सच्चाई सामने आ सकती है और वे इसके लिए ही वे जांच की मांग कर रहे हैं।
इसके लिए वे लोग पुलिस अधीक्षक, औरंगाबाद, बिहार, पुलिस अधीक्षक, मेदिनीनगर, पलामू, झारखंड, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, औरंगाबाद, अपर पुलिस महानिदेशक, बिहार पुलिस मुख्यालय, अपराध अनुसंधान विभाग एवं कमजोर वर्ग प्रभाग, पुलिस महानिरीक्षक, मगध क्षेत्र, गया, बिहार से भी निवेदन किया है।
इस घटना के सम्बंध में बड़ेम ओपी क्षेत्र के प्रभारी धनजंय कुमार सिंह ने सनहा दर्ज कराया था, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनके थाने की गश्ती वाहन से टकराकर रौशन कुमार की जान गई है। जिसमें सम्बंधित पुलिसकर्मियों को भी नामजद किया गया है। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि अगर गश्ती वाहन ने ही टक्कर मारी थी और घायल को अस्पताल पहुंचाने के बजाए मौके से भाग गए थे तब उनपर हिट एंड रन का मामला क्यों नहीं बना?
वहीं इस सम्बंध में औरंगाबाद एसपी कांतेश कुमार मिश्र ने बताया कि इस मामले की जांच की जा रही है। जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी।