Tuesday, July 8, 2025

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रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर के निजी रास्ते को सार्वजनिक करने के लिए असामाजिक तत्व बना रहे हैं दबाव

नीरज कुमार
सासाराम, रोहतास, बिहार।

एक पुरानी कहावत है कि उधार की मिली चीज कभी अपनी नहीं हो सकती है लेकिन यहां तो उधार के मिले रास्ते पर ही कुछ लोगों ने दावा ठोक दिया है और जमीन मालिक को लगातार परेशान कर रहे हैं।
यह मामला है रोहतास जिले के नोखा थाना क्षेत्र के चनका गांव का, जहां के रहने वाले बिनोद सिंह जो कि रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर हैं ने अपने गांव में अपने घर तक जाने के लिए निजी रास्ते का निर्माण कराया था।
यह रास्ता उन्होंने अपने खेत में मिट्टी भराई करके बनवाया था। जब उनका परिवार गांव में नहीं रहता था तब गांव के कुछ लोग भी इस रास्ते का उपयोग कर लिया करते थे और आज भी कर रहे हैं। लेकिन जब इनकी प्राइवेसी खत्म होने लगी तब इन्होंने इस निजी रास्ते की घेराबंदी कर ली।

रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर का निजी रास्ता जिससे छात्र गुजर रहे हैं (फ़ोटो- हिन्द एक्सप्रेस न्यूज़)


रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर बिनोद सिंह ने बताया कि ग्रामीणों की शिकायत पर साल 2020 में डीएम रोहतास के आदेश पर नोखा सीओ ने जमीन की मापी भी कराई थी। मापी के बाद ही उन्होंने जमीन की घेराबंदी की थी जिसके बाद कुछ ग्रामीण अंदर ही अंदर साजिश कर रहे हैं। और 2 साल बाद डीएम को शिकायत कर रहे हैं। यहां तक कि उल्टे रिटायर्ड फौजी बिनोद सिंह को दबंग बता रहे हैं ।

चनका गांव के रास्ते का वह छोर जहां से मुख्य रास्ते को विनोद सिंह के निजी रास्ते में जोड़ दिया गया है (फ़ोटो- हिन्द एक्सप्रेस न्यूज़)

गांव में बने विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्र के लिए दी जमीन

बिनोद सिंह बताते हैं कि ढाई सौ बीघा से ज्यादा चनका गांव का रकबा है लेकिन जब गांव में विद्यालय और आंगनबाड़ी भवन बनाने के लिए जमीन देने की बारी आई तो सबने मना कर दिया। आखिर में उनके पिताजी ने ही गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए, उनके भविष्य के लिए अपनी जमीन दान देकर विद्यालय भवन का निर्माण कराया।
यही नहीं घर के पीछे अपने निजी जमीन पर ही सार्वजनिक रास्ता दिया है। लेकिन घर के आगे वाले निजी जमीन पर बने रास्ते को वे अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए बनवाए थे।
जिसकी घेराबंदी उन्होंने नोखा सीओ के नापी के बाद कराई थी।
उनके निजी रास्ते के बगल में इसी गांव के अन्य लोगों की भी खाली जमीनें हैं। उन्हें चाहिए कि वे लोग अपनी जमीन पर रास्ता निकालें और उपयोग करें। उनकी गलती तब होती जब वहां पर सिर्फ उनकी जमीन होती और वह रास्ता रोकते।
यहां तो सभी ग्रामीणों की जमीन खाली पड़ी है। उन्हें अपनी जमीन से रास्ता निकाल कर आवाजाही करनी चाहिए। उनकी ही निजी जमीन से रास्ता निकालने की कुछ ग्रामीणों का दबाव गलत है और उनसे दबंगई की जा रही है।
फिलहाल गांव के कुछ लोग गलत शिकायत कर रहे हैं। वह इस मामले में मानहानि का मुकदमा करेंगे और सबको कोर्ट में जवाब देना होगा। इस मामले में जब हमारे संवाददाता ने गांव के ही रहने वाले ललन सिंह, चंद्रमा सिंह, बजरंगी सिंह, अनीष कुमार, मनीष कुमार, शिव कुमारी देवी, नीतू कुमारी आदि से बात की तो ग्रामीणों ने बताया कि यह बिन्दा सिंह का निजी रास्ता है। फिर भी उन्होंने किसी को आने जाने से नहीं रोका है।

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