Sunday, July 6, 2025

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सफेद कौआ बना आकर्षण का केंद्र, लोग हो रहे हैं आश्चर्यचकित

औरंगाबाद, बिहार।


यूं तो कौवे का रंग काला होता है। कौवे की पहचान ही काले रंग से होती है। कौआ मतलब काला कहा जाता है। लेकिन जिले के बारुण प्रखंड का एक गांव में सफेद कौआ पाया गया है। सफेद कौआ के कारण यह गांव आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह सफ़ेद कौआ यदा कदा दिख जाता है। इस कौवे को जो भी देखता है आश्चर्य से भर जाता है।

औरंगाबाद जिले के बारुण प्रखण्ड का पिपरा गांव में एक सफेद कौआ देखा गया है। इस कौवे को जिसने भी देखा सहसा उसे विश्वास नहीं हुआ।  लेकिन जब पास से देखा गया तो वह कौवा ही था। सफ़ेद कौवा यों तो दक्षिण  बिहार में कहीं पाया नहीं जाता है।  यह कौवा कहां से आया है या किस कारण से सफेद हो गया है सभी जानना चाहते हैं।


इस सम्बंध में स्थानीय निवासी और शिक्षक राजा दिलीप सिंह बताते हैं कि यह कौआ पिपरा गांव से लेकर आसपास के चार से पांच किलोमीटर के दायरे में देखा जाता है। इसे कभी कभार ही लोग देख पाते हैं। वह बताते हैं कि जब उन्होंने पहली बार इस सफेद कौवे को दिखा जो कि उनके घर के बाहर ही दाना चुग रहा था। पहले तो उन्हें लगा कि यह कोई दूसरा पक्षी जैसे कबूतर या पंडुक है। कौतूहल बस जब वे पास गए तो उन्होंने देखा कि यह कबूतर नहीं बल्कि कौवा ही है जो की सफेद हो गया है। इसके बाद गांव के कई लोगों ने उसे देखा। कई लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था।

  वहीं इस संबंध में मिश्रा ज्योतिष केंद्र के प्रमुख ज्योतिषाचार्य और पुरोहित पंडित संतोष कुमार मिश्र ने इसे दैविक चमत्कार बताया। उन्होंने बताया कि दरअसल कौवा पहले सफेद ही होते थे। जो कि एक ऋषि के श्राप के कारण काले पड़ गए हैं।
   उन्होंने एक पौराणिक कथा बताते हुए कहा कि एक बार एक ऋषि को तपस्या के बाद पता चला कि उत्तर दिशा में एक अमृत सरोवर है। जिसे पता करने के लिए उन्होंने आश्रम के एक कौवे को चुना। चूंकि कौवा काफी चालाक और समझदार पक्षी होता है। इसलिए ऋषि ने उसे ही उपयुक्त माना।  साथ है उन्होंने हिदायत दी कि उसे अमृत सरोवर में ना ही चोंच डूबोना है ना ही उसे ग्रहण करना है। सीधे पता करके उनके पास वापस आना है। लेकिन जैसे ही कौवे को अमृत सरोवर का पता चला, सबसे पहले भरपेट अमृत पिया। उसके बाद वापस ऋषि के पास लौटा। जब ऋषि ने उसे पूछा तो उसने सब कुछ सत्य सत्य बता दिया कि उसने अमृत का पान कर लिया है। इस पर ऋषि क्रोधित होकर अपने लोटे के जल में उसे डुबोकर श्राप दे दिया। श्राप से लौटे का जल काला पड़ गया था इसलिए कौवे का रंग भी काला पड़ गया। हालांकि कौवा द्वारा क्षमा याचना और प्रायश्चित करने के बाद ऋषि ने कहा कि मैं अपना श्राप तो वापस नहीं ले सकता लेकिन तुम्हें पितृ पक्ष के दौरान पूजा जाएगा। और क्योंकि तुम अमृत का पान कर लिए हो इसलिए कभी भी तुम्हें स्वाभाविक मौत नहीं मिलेगी।

हालांकि इस संबंध में विज्ञान की राय अलग है पशु वैज्ञानिक डॉक्टर आलोक कुमार भारती ने बताया कि ऐसे कौवे में मेलानिन नहीं बनने की वजह से उसका पूरा शरीर सफेद हो जाता है। यहां तक पंख और शरीर के अन्य भाग भी सफेद हो जाते हैं, जबकि आंख का रंग पिंक या फिर रेड हो जाता है। ऐसा होना जेनेटिक डिसऑर्डर है जो सफेद कौवा में बचपन से ही होता है। 30 हजार कौओं में से एक ही कौआ उजला होता है। यह एक ल्युसिज्म नाम की बीमारी होती है।

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