औरंगाबाद, बिहार।
गलियों में यहां वहां बिखरे कचरे गांव की रौनक को खत्म कर देते हैं। इन्ही समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कचरे से जैविक खाद बनाने के लिए पंचायत को ट्रेंड किया जा रहा है। लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान द्वितीय चरण अंतर्गत ग्राम पंचायतों में क्रियान्वित ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के तहत जैविक खाद निर्माण विधि की जानकारी हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन जिला योजना भवन सभागार में किया गया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ निदेशक डीआरडीए, कृष्णा कुमार के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस कार्यक्रम में जिला समन्वयक, संबंधित पंचायत के मुखिया, पंचायत सचिव, प्रखंड समन्वयक एवं स्वच्छता पर्यवेक्षक उपस्थित हुए।
प्रशिक्षण में उपस्थित सदस्य को कृषि विज्ञान केंद्र के प्रतिनिधि के द्वारा जैविक खाद निर्माण की संपूर्ण विधि की विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। साथ ही जैविक खाद की उपयोगिता एवं इसके लाभ के बारे में बताई गई। बताया गया कि इससे लाभान्वित हो कर ग्राम पंचायत में संग्रहित किए जा रहे गीला अपशिष्ट से जैविक खाद का निर्माण ग्राम पंचायत स्तर पर निर्मित नाडेप के माध्यम से किया जाएगा। एवं इस जैविक खाद के विक्रय से होने वाले आय को ग्राम पंचायत के खाता में जमा किया जाएगा जिसका उपयोग पंचायत के विकास में किया जा सकेगा।
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ज्ञात हो कि औरंगाबाद जिले में कुल अब तक कुल 95 अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई(WPU) का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है एवं शेष पंचायतों में निर्माणाधीन है। पंचायत के सभी वार्डों से संग्रहित कचरे को अपशिष्ट प्रसंकरण इकाई पर लाकर स्वच्छता कर्मियों द्वारा अपशिष्ट पृथकीकरण की कार्रवाई की जायेगी। जैविक अपशिष्ट को अलग कर डब्लूपीयू में बने नाडेप के माध्यम से जैविक खाद का उत्पादन किया जाएगा। जिसका पंचायत के कृषकों द्वारा क्रय कर कृषि कार्य में उपयोग किया जाएगा।