औरंगाबाद, बिहार।
जिला अभिलेखागार में पदस्थ लिपिक को भ्रष्टाचार के मामले में सस्पेंड कर दिया गया है। आरोपी लिपिक पर काम के बदले में उगाही का आरोप है। पैसे नहीं मिलने की स्थिति में काम नहीं करने का आरोप प्रमाणित हुआ है।
जिला अभिलेखागार, औरंगाबाद में कार्यरत लिपिक देवेंद्र कुमार वर्मा के विरूद्ध अवैध राशि उगाही करने एवं भ्रष्टाचार में लिप्त रहने के संबंध में जिला प्रशासन को शिकायत की गई थी। जिसमें बताया गया था कि इनके द्वारा नकल निर्गत किये जाने के एवज में आमजनों से अवैध पैसे की मांग की जाती है।
पिछले हप्ते जांच के क्रम में जिला पदाधिकारी सौरभ जोरवाल ने जिला अभिलेखागार के लिपिक देवेंद्र कुमार वर्मा के पास काफी संख्या में पुराने आवेदन पत्र निष्पादन हेतु लम्बित पाये थे। जिस पर लिपिक को कड़ी चेतावनी दी गई थी। इसके बाद भी देवेंद्र वर्मा के कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं हुआ था।
साथ ही, देवेन्द्र कुमार वर्मा के विरूद्ध खतियान का नकल निर्गत किये जाने के एवज में अवैध राशि की मांग किये जाने संबंधी शिकायत पत्र जिला गोपनीय शाखा, औरंगाबाद में प्राप्त हुआ है।
जिलाधिकारी ने निलंबन आदेश में कहा है कि जिला अभिलेखागार, औरंगाबाद के लिपिक देवेंद्र वर्मा का उक्त कृत्य उनके भ्रष्टाचार में संलिप्तता को दर्शाता है तथा बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली-1976 के कडिका- 3.1 के उप कंडिका – (i), (ii), (iii) में निहित प्रावधानों का उल्लंघन है।
इसलिए बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियमावली – 2005 का नियम-9(2) के आलोक में देवेन्द्र कुमार वर्मा को प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार में संलिप्त रहने का दोषी पाते हुए उसे तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया है।
देवेंद्र वर्मा को निलम्बन अवधि में नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा। साथ ही निलम्बन अवधि में उनका मुख्यालय गोह प्रखण्ड निर्धारित किया गया है।
साथ ही जिला स्थापना उप समाहर्त्ता, औरंगाबाद को भी निर्देश दिया गया है कि सामान्य प्रशासन विभाग, बिहार पटना की अधिसूचना संख्या- 15983, दिनांक- 14.12.2017 के परिप्रेक्ष्य में देवेन्द्र कुमार वर्मा के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के लिए विहित प्रपत्र में आरोप पत्र गठित कर एक सप्ताह के अंदर जिला पदाधिकारी के समक्ष उपस्थापित करना सुनिश्चित करेंगे।