औरंगाबाद, बिहार।
जिले के लाल गजेंद्र नारायण ने इतिहास विषय में जेआरएफ नेट पास करके जिले का नाम रौशन किया है। मदनपुर थाना क्षेत्र के खिरीयावां पंचायत के बरडीह गांव निवासी केंद्रीय विद्यालय दिल्ली में शिक्षक गजेन्द्र नारायण ने यूजीसी नेट में जेआरएफ की परीक्षा पास की है। उन्होंने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित यूजीसी/जेआरएफ-2022 परीक्षा में जेआरएफ के रूप में सफलता हासिल की है। इस परीक्षा में उन्होंने 98.66 पर्सेंटाइल हासिल किया है।
ईडी द्वारा कथित रूप से गलत केस में फंसाने के बावजूद गजेंद्र नारायण ने यूजीसी द्वारा आयोजित जेआरएफ नेट परीक्षा में 98.66 परसेंटाइल लाकर जिले का नाम रौशन किया है। गजेंद्र नारायण सेंट्रल स्कूल दिल्ली में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। दिवंगत नक्सली नेता संदीप यादव के वे दामाद हैं। उनके पिता इंजीनियर हैं। 4 साल पहले संदीप यादव को सरेंडर कराने के लिए केंद्रीय एजेंसियों ने गजेंद्र नारायण के कैरियर से खिलवाड़ किया। उन्हें आय से अधिक के एक झूठे मुकदमे में फंसाया गया। जिसके कारण वे साल 2020 के शुरुआत में ही जेल जाना पड़ा था। जहां उन्होंने जेल से ही परीक्षा की तैयारी की और परिणाम सबके सामने है।

ईडी ने जिस 11 लाख 38 हजार रुपये के फ्लैट खरीदने के मामले में केस दर्ज कर जेल भेजवाया था, उससे कहीं ज्यादा वे वेतन पा चुके थे। गजेंद्र ने बताया कि उन्होंने तब तक 36 लाख रुपये के आसपास वेतन प्राप्त किया था। लेकिन 11 लाख 38 हजार रुपये के अनियमितता करने के मामले में ईडी ने उनपर केस दर्ज किया। जबकि उन्होंने तबतक 36 लाख रुपए तक वेतन प्राप्त किया था। इस मामले में उन्होंने पटना में सरेंडर किया था। जिसके बाद उन्हें बेउर जेल भेज दिया गया था। उनके जीवन के लगभग 2 साल 8 माह का बहुमूल्य समय बेवजह के जेल में बर्बाद हुआ।
गजेंद्र ने बताया कि जेल में उन्होंने एक एक दिन गिनकर काटे हैं। इस दौरान समय बिताने के लिए पुस्तकें पढ़ते थे।
उन्होंने जेल से ही जेआरएफ की तैयारी की और परीक्षा दिया। जेल से बाहर आने के बाद जब नेट का रिजल्ट आया तो उन्हें इतिहास विषय में 98.66 परसेंटाइल नम्बर आया है। उन्हें खुद पर पूरा भरोसा था कि वे परीक्षा में अच्छे अंक जरूर लाएंगे। उन्होंने जीवन में सिर्फ पढ़ाई की है। पढ़ाई के अलावे उन्होंने कभी किसी तरह की गैरकानूनी कार्य नहीं किया है। लेकिन उन्हें इस तरह से फंसा कर उनकी जिंदगी को बर्बाद कर दिया गया है।
वे अपने जीवन को नए तरीके से शुरू करना चाहते हैं। वे अब जेएनयू में जाकर पीएचडी करेंगे। जेआरएफ पास करने के बाद उन्हें अब 35 हजार रुपए प्रति माह स्कॉलरशिप मिलेंगे। जिससे वे पीएचडी पूरी करके बिहार में ही प्रोफेसर की नौकरी करना चाहते हैं।
गजेंद्र नारायण ने उच्च शिक्षा बीएचयू से प्राप्त किया है।

क्या है पूरा मामला
बांकेबाजार प्रखंड के बाबूरामडीह के रहनेवाले 35 लाख रुपये के इनामी शीर्षस्थ नक्सली नेता अब दिंवगत संदीप यादव के खिलाफ फरवरी 2018 में ईडी ने कार्रवाई करते हुए 86 लाख रुपए की संपति जब्त कर ली थी। संपति जब्ती की कार्रवाई के बाद विभागीय कार्रवाई शुरू की गई थी। इस कार्रवाई के दौरान नक्सली नेता के दामाद यानी दिल्ली के सर्वोदय नगर में पदस्थापित गजेन्द्र भी ईडी की लपेटे में आ गए। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद उन्होंने 13 जनवरी 2020 को पटना कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। 22 सितंबर 2022 को वे जेल से बाहर आए। जेल में बंद रहने के दौरान उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। बाहर आने के बाद परीक्षा दी और जेआरएफ में सफल हुए।
गजेंद्र की सफलता पर उनके शुभचिंतकों ने उन्हें शुभकामनाएं दी हैं। गजेंद्र की सफलता पर जिला परिषद सदस्य शंकर यादवेंदु, शशिभूषण शर्मा, पूर्व अध्यक्ष प्रतिनिधि संजय यादव, राजद प्रवक्ता रमेश यादव, शिक्षक अम्बुज कुमार, गोपेन्द्र कुमार सिन्हा गौतम आदि ने शुभकामनाएं दी हैं।