औरंगाबाद।
राजेश रंजन, जिला संवाददाता ईटीवी भारत
साल 2000 में बामपंथी दलों से राजद का गठबंधन टूट गया था। या यूं कहें कि राजद और वाम दलों में गठबंधन हुआ ही नहीं था। 1995 विधानसभा चुनाव में गठबंधन था पर जनता दल के नाम पर था। लालू प्रसाद यादव तब जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे लेकिन 1997 में जनता दल तोड़कर नई पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का गठन कर लिया गया।
राष्ट्रीय जनता दल बनने के बाद पहला विधानसभा चुनाव साल 2000 में राबड़ी देवी के नेतृत्व लड़ा गया. विधानसभा चुनाव में वाम दलों ने लालू से किनारा कर लिया था।
1995 में औरंगाबाद जिले के गोह विधानसभा से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के रामशरण यादव विधायक थे जो जनता दल के साथ गठबंधन में थे। साल 2000 में गठबंधन टूटने पर राजद के टिकट पर लड़ने के लिए लालू यादव ने राम अयोध्या सिंह को उम्मीदवार बनाया था। हालांकि उन्होंने निवर्तमान विधायक रामशरण यादव को राजद से लड़ने के लिए निमंत्रण दिया था. रामशरण यादव नहीं माने और राजद में नहीं गए और सीपीआई (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया) से ही चुनाव लड़े।
रामशरण यादव इससे पहले 1977, 1980, 1990 और 1995 में सीपीआई से विधायक चुने जा चुके थे। हालांकि उस सीट पर हमेशा से सोशलिस्ट पार्टी और बाद में जनता दल का समर्थन मिलता रहा था.
साल 2000 का विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास था क्योंकि यह चुनाव मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के नेतृत्व में लड़ा गयाथा. इस बार लालू प्रसाद का मुकाबला सिर्फ भाजपा गठबंधन से ही नहीं वामपंथी गठबंधन और कांग्रेस से भी था।
जब गोह विधानसभा का चुनाव परिणाम आया तो राजद और सीपीआई दोनों की हार हुई। राजद के उम्मीदवार रामअयोध्या सिंह और सीपीआई उम्मीदवार रामशरण यादव दोनों हार गए. समता पार्टी के डीके शर्मा जो कि भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार थे चुनाव जीत गए थे.
समता पार्टी के डीके शर्मा को 48,889 वोट, राजद के रामअयोध्या यादव को 42,230 और रामशरण यादव सीपीआई को 14732 वोट प्राप्त हुए.
वहीं कांग्रेस के कौकब कादरी को 10,234 वोट प्राप्त हुए.
इस तरह देखा जाए तो डीके शर्मा पहले, रामअयोध्या यादव दूसरे और रामशरण यादव तीसरे स्थान पर रहे. वहीं कांग्रेस के कौकब कादरी चौथे स्थान पर रहे थे. यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि विजयी दल समता पार्टी का भाजपा और जदयू (शरद यादव) का गठबंधन था जबकि राजद मैदान में अकेले थी. राजद, भाकपा और कांग्रेस के वोटों को मिला दिया जाए तो महागठबंधन दलों का कुल 67,196 वोट प्राप्त हुए थे.
जबकि भाजपा, जदयू और समता गठबंधन का उम्मीदवार 48,889 लाकर विजयी रहा.
साल 2000 में परिस्थिति बदली हुई थी। नई नई आई टीवी चैनलों द्वारा नेगेटिव रिपोर्टिंग, वाजपेयी सरकार द्वारा राबड़ी देवी सरकार को परेशान करना, 1999 में राबड़ी सरकार की बरखास्तगी और बहाली, रणवीर सेना द्वारा दलितोपिछडो का लगातार नरसंहार, बदले में एमसीसी द्वारा सवर्णो पर हमला, लालू यादव का चारा घोटाले में फंसने के बाद जेल और बेल का खेल, इस मँझधार में फंसी राबड़ी देवी ने अकेले विधानसभा चुनाव में उतरने का फैसला लिया था.
साल 2000 के बाद स्थितियाँ बदल गई। राज्य का बंटवारा हुआ और नए राज्य के रूप में झारखंड का उदय हुआ।
2005 के फरवरी में हुए चुनाव में राजद और बुरी स्थिति में पहुंच गया। जहां उसके उम्मीदवार कौलेश्वर प्रसाद यादव तीसरे स्थान पर चले गए और आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस के कौकब कादरी दूसरे स्थान पर रहे थे।
2005 फरवरी में हुए चुनाव में जदयू के डॉ रणविजय कुमार 27,812 वोट प्राप्त कर विजयी घोषित किए गए थे. दूसरे स्थान पर कांग्रेस के कौकब कादरी थे जिन्हे 21,953 मत प्राप्त हुए थे. वहीं तीसरे स्थान पर रहे राजद उम्मीदवार कौलेश्वर यादव को 20,270 वोट मिले थे. राजद के बागी निर्दलीय रामअयोध्या यादव को 12,210 वोट मिले और वह चौथे स्थान पर रहे थे.
अक्टूबर 2005 मे हुए विधानसभा चुनाव मे गोह से जदयू के डॉ रणविजय कुमार दूसरी बार विजयी रहे। उन्हें 26,526 मत मिले. वही राजद गठबंधन की तरफ से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार देवनारायण यादव चुनावी मैदान में थे। उन्हें 22,596 मत प्राप्त हुए और दूसरे स्थान पर रहे। वहीं तीसरे स्थान पर लोक जनशक्ति पार्टी के रंजीत प्रसाद कुशवाहा रहे, जिन्हें 19,619 वोट प्राप्त हुए। राजद के बागी राम अयोध्या यादव सपा के टिकट पर मैदान में थे। उन्होंने 5,194 वोट प्राप्त किया और पांचवें स्थान पर रहे।
साल 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में भी गोह से जदयू के डॉक्टर रणविजय कुमार विजयी रहे थे। उन्हें 47,378 वोट मिले थे। उन्होंने राजद के रामअयोध्या यादव को मात्र 694 वोटो के अंतर से हराया था। राम अयोध्या यादव को 46,684 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस के कौकब कादरी को 8,418 मत प्राप्त हुए थे और वह तीसरे स्थान पर रहे थे। भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के सुरेश यादव को 3,407 वोट प्राप्त हुए और वह चौथे स्थान पर रहे। निर्दलीय उम्मीदवार कुमारी अनुपम सिन्हा यादव को 1,508 वोट, निर्दलीय उम्मीदवार बृजनंदन सिंह यादव को 2,093 वोट और निर्दलीय ही उम्मीदवार राधेश्याम यादव को 1,027 वोट मिले थे।
साल 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान परिस्थितियां बदल गई थी। चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस का महागठबंधन बना था। हालांकि इस चुनाव में भाजपा के मनोज शर्मा जो की पूर्व विधायक डीके शर्मा के पुत्र हैं विजयी रहे थे। उन्हें 53,615 मत प्राप्त हुए थे। वहीं महागठबंधन समर्थित जदयू उम्मीदवार डॉ रणविजय कुमार दूसरे स्थान पर रहे थे, उन्हें 45,943 मात्र प्राप्त हुए थे।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सुरेश प्रसाद यादव को उस चुनाव में 18,951 वोट मिले थे और वह तीसरे स्थान पर रहे थे। शिवसेना के प्रत्याशी रणविजय कुमार ने भी 5,240 वोट प्राप्त किया और वह पांचवें स्थान पर रहे। जबकि राजद के बागी निर्दलीय प्रत्याशी राम अयोध्या यादव 4,235 वोट प्राप्त किया और छठे स्थान पर रहे।
उस चुनाव में जन अधिकार पार्टी के चर्चित प्रवक्ता श्याम सुंदर भी मैदान में थे, जिन्हें मात्र 1,256 मत मिले थे।
2020 विधानसभा का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया था। जब यहां से लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने 20 साल के छह विधानसभा चुनाव के बाद खाता खोला था। यहां से नबीनगर के पूर्व विधायक भीम कुमार यादव को राजद ने अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत हासिल की। उन्होंने 81,410 मत प्राप्त किया और भाजपा उम्मीदवार मनोज कुमार को बड़े अंतर से हराया। मनोज कुमार को मात्र 45,792 मत प्राप्त हुए थे । वहीं तीसरे स्थान पर रहे रालोसपा के डॉ रणविजय कुमार को 44,050 मात्र प्राप्त हुए थे। इस चुनाव में देखा जाए तो राजद के भीम कुमार यादव ने 35,618 मतों के अंतर से चुनाव जीता था। वहीं चर्चित नेता श्याम सुंदर को जो की राजद को समर्थन कर दिए थे, उसके बावजूद 183 प्राप्त हुए थे.
2025 की परिस्थियां फिर से बदल गई है। भाजपा ने इस बार डॉ रणविजय कुमार को प्रत्याशी बनाया है जबकि मनोज कुमार को अरवल लड़ने भेजा गया है।